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जेल में बिताए दिनों को याद कर भावुक हुए शीजान:बोले- 'आज भी पैनिक अटैक आते हैं, किसी से दिल लगाने को तैयार नहीं हूं'

2 days ago 13



साल 2022 में, शीजान खान की को-एक्टर तुनिषा शर्मा ने टीवी शो 'अलादीन नाम तो सुना होगा' के सेट पर सुसाइड कर लिया था। तुनिषा की मां, वनिता शर्मा ने शीजान पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था जिसके बाद, एक्टर को अरेस्ट किया गया था। बता दें, मार्च 2023 में शीजान को जमानत मिल गई थी। एक्टर की मानें तो उन्हें आज भी पैनिक अटैक आते हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, जेल में बिताए दिनों को याद कर शीजान भावुक हो गए। बातचीत के दौरान, उन्होंने वेब सीरीज 'हीरामंडी' के मेकर संजय लीला भंसाली पर भी तंज कसा। आज भी पैनिक अटैक आते हैं जेल में बिताए दिनों को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। कई बार अपनी इस सोच को रोकता हूं, हालांकि यह जर्नी आसान नहीं है। आज भी मुझे पैनिक अटैक आते हैं। उस वक्त जब मदद चाहिए थी, तब कोई नहीं था। मैं बहुत अकेला था। गौरतलब, मुझे जेल में किताबें पढ़ने के लिए दी गई थीं। उन किताबों ने मेरी मेंटल हेल्थ को स्टेबल रखने में काफी मदद की। मैंने खुद को काफी मोटिवेट किया था। हालांकि, जब बाहर आया तब एहसास हुआ कि असली जेल तो बाहर की दुनिया है। मुझे अकेले ही इसका सामना करना पड़ेगा। खोने के लिए अब कुछ बचा नहीं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि इतना सब कुछ होने के बावजूद, इंडस्ट्री में मुझे काम मिलना बंद नहीं हुआ। अपनों की दुआएं मेरे लिए काम आईं। हालांकि, इस घटना के बाद, मेरी हिम्मत बढ़ गई है। अब मैं किसी के सामने झुकता नहीं हूं। पहले जब कुछ गलत होता था तो उसके खिलाफ बोलने के लिए हिम्मत नहीं होती थी। डर लगता था कि कहीं मुझे कोई काम से ना निकाल दे। लेकिन अब सोचता हूं कि मेरे पास खोने के लिए कुछ बचा ही नहीं। अब किसी की भी हिम्मत नहीं कि कोई आकर मुझे दो बात सुना दें। अपना हक छीन कर लेता हूं। संजय लीला भंसाली से ऐसी उम्मीद नहीं थी मैंने जब 'हीरामंडी' के शुरूआती एपिसोड देखे, तो हैरान रह गया। पूरी सीरीज में उर्दू गलत तरीके से बोली गई है। यदि कोई नया फिल्ममेकर होता तो शायद एक बार इस गलती को नजरअंदाज कर सकते थे। लेकिन संजय लीला भंसाली से ऐसी उम्मीद नहीं थी। अब हमारे शिक्षक ही गलती करेंगे, तो फिर उनका वजूद कैसा बना रहेगा? मैं भेड़चाल में चलने में विश्वास नहीं रखता हूं। जो गलत है, मैं उसके खिलाफ आवाज उठाऊंगा। अध्ययन सुमन, फरीदा जलाल, शेखर सुमन, फरदीन खान के अलावा किसी ने अच्छा काम नहीं किया है। उंगली काटकर शहीदों में अपना नाम करने वालों में से नहीं हूं हर एक्टर का ड्रीम होता है कि उसे बॉलीवुड में अच्छा ब्रेक मिले। स्क्रीन पर अच्छा किरदार निभाने का मौका मिले। हालांकि, अपनी उंगली काटकर शहीदों में अपना नाम करने वालों में से नहीं हूं। मैं सिर्फ एक बड़े डायरेक्टर के नाम पर कोई फिल्म नहीं करना चाहता हूं। मुझे इस तरह के रोल बॉलीवुड में ऑफर हुए थे जिसका कोई मतलब नहीं था। उस किरदार को अगर कहानी से हटा दो तो उसका कोई मतलब ही नहीं। मैंने उस रोल के मना कर दिया था। मैं अपनी इज्जत की रोटी टेलीविजन में कमाने के लिए तैयार हूं। सोशल मीडिया पर मिले फेम की वैलिडिटी नहीं होती है टीवी इंडस्ट्री में एक्टिंग से ज्यादा लुक मायने रखते हैं। कई मेकर्स तो कहते हैं कि सिर्फ लुक अच्छा होना चाहिए, एक्टिंग तो वे करवा लेंगे। इस सोच की वजह से कई मेकर्स को खामियाजा भुगतना पड़ता है। 2-3 महीने में शोज बंद हो रहे है। मेरा मानना है कि लुक के साथ-साथ एक्टिंग स्किल भी देखना बेहद जरूरी है। सोशल मीडिया पर मिले फेम की वैलिडिटी नहीं होती है। इनके पास एक्टिंग का कोई बेस नहीं होता है। बहुत कम वक्त में जो फेम मिलता है, वह बहुत जल्दी खत्म भी हो जाती है। खैर, आज के दौर की यहीं हकीकत है। किसी से दिल लगाने के लिए तैयार नहीं हूं मैं अपने साथ बहुत खुश हूं। जमाने के साथ काफी वफादार रह चुका हूं, लेकिन अब मुझे खुद से वफा करनी है। प्यार की तलाश में बिल्कुल नहीं हूं। दो पंक्तियों में यदि बयान करूं तो - 'मुझे तो तन्हाई की आदत है, मेरी बात छोड़िए, आपका घर आ गया, मेरा हाथ छोड़िए।' मैं अब किसी भी लड़की का दिल नहीं तोड़ सकता हूं, और ना खुद का। मैं किसी से दिल लगाने के लिए तैयार नहीं हूं। मां से बेहतर कोई नहीं समझ पाया मेरी मां शादी को लेकर कभी-कभार मस्ती-मजाक करती हैं। हालांकि, उन्होंने कभी मुझे इसके लिए फोर्स नहीं किया। दरअसल, मेरी मां भी अकेली रही हैं। वो सिंगल पेरेंट थी। उनसे बेहतर मुझे कोई नहीं समझ पाता है।
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