रणदीप हुड्डा अपनी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ को लेकर सुर्खियों में हैं। फिल्म में उनके एक्टिंग की खूब तारीफ की जा रही है। इन सब के बीच एक इंटरव्यू में एक्टर ने खुलासा किया है कि काम ना मिलने की वजह से वो डिप्रेशन में चले गए थे। उनके पास करने कोई भी काम नहीं था। उनके पास खाने तक के पैसे नहीं बचे थे। हालात ये हो गए थे कि उन्हें घर का सामान बेचकर गुजारा करना पड़ा था। काम की तलाश में दिन-रात भटकने के बाद भी एक्टर को कोई काम नहीं मिला। रणदीप का ये हाल देख कर उनके पैरेंट्स काफी परेशान हो गए थे।
3 साल तक नहीं कटाए थे बाल
रणदीप ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने कई साल बिना काम के गुजारे थे। उन्होंने बताया कि उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि उन्होंने अपनी जिंदगी चलाने के लिए अपनी कार तक बेच दी थी। हालात इतने खराब हो गए कि उन्होंने धीरे-धीरे घर का सारा सामान बेच दिया था। जिंदगी में इतने रिजेक्शन के बाद एक्टर जिंदगी से हार मान चुके थे। साल 2016 में फिल्म बैटल ऑफ सारागढ़ी की अनाउंसमेंट के बाद उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक ये फिल्म बन कर तैयार नहीं होगी वो अपने बाल नहीं काटेंगे।
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पर्दे पर रिलीज नहीं हुई थी फिल्म
फिल्म केसरी उस वक्त उसी मुद्दे पर बनी थी जिस मुद्दे पर बैटल ऑफ सारागढ़ी बनी थी। केसरी पर्दे पर फ्लॉप साबित हुई और इसी वजह से बैटल ऑफ सारागढ़ी को रिलीज नहीं किया गया। एक्टर को ऐसा लगने लगा था कि उन्होंने अपने जिंदगी के तीन साल बर्बाद कर दिए। उन्होंने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया था ताकि कोई उनके बाल नहीं काट पाए। उन्होंने अपने बाल फिल्म को न्याय मिलने के बाद ही काटे थे।